STORYMIRROR

Geeta Upadhyay

Romance

4  

Geeta Upadhyay

Romance

कुछ पुराने हिसाब लेकर

कुछ पुराने हिसाब लेकर

1 min
357

अर्श से फर्श पर आकर ये समझ आया 

जब भोली सूरत के पीछे की

हकीकत को देख पाया


उम्र तमाम की जिनकी खातिर

छुड़ाकर हाथ चल दिए

बचाया था जिन हाथों ने उनको


वो भी उनके साथ चल दिए

दर्दनाक मंजर और यादों के सिवा

पूरे ना हुए उन ख्वाबों के सिवा


कुछ भी नहीं है मेरे गरीब खाने में

किताबों के सिवा 

बैठा हूं किताबों के बीच किताब लेकर


जिंदगी तुझसे कभी ना भूलने वाले खिताब लेकर

शौकीन था बहुत मैं भी पढ़ने को तुझे

आज खोलें मैंने पन्ने तेरे कुछ

पुराने हिसाब लेकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance