STORYMIRROR

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Romance

4  

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Romance

इश्क़ का अभिप्राय

इश्क़ का अभिप्राय

1 min
410

पहले कभी कहा नहीं, 

लेकिन...

आज जब तुम्हारे प्रश्न,

आतुरता की लीक तक आ पहुंचे हैं

मैं कहना चाहता हूँ,

वो सब... 

जो संजोकर रखा है, हिय में... अथाह।

हाँ! पहले कभी कहा नहीं,

लेकिन आज कहना चाहता हूँ।


पारंगत नहीं मैं,

इतर कातिबों की तरह,

कि आँक लूँ इश्क़ को,

पयोधि तल से, खोह से जमीं की,

नवरत मंडल से या अन्यत्र पैमानों से,

लेकिन जिस तरह इक पल को,

निःश्वास होने पर...

तन-मन व्यथित हो उठता है,

मैं! वियोग से तुम्हारे,

व्यथित हो जाता हूँ,

विरह.... की कल्पना भी,

मुझे शून्य कर देती है।


पहले कभी कहा नहीं,

लेकिन....

आज जब तुम्हारे प्रश्न,  

आतुरता की लीक तक आ पहुंचे हैं।

मैं कहना चाहता हूँ, 

कि इश्क़ से मेरा अभिप्राय,

कल तुम थी, आज तुम हो ...

और कल तुम ही रहोगी॥



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance