STORYMIRROR

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract

4.5  

Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract

इश्क़-इस्बात

इश्क़-इस्बात

1 min
261


इश्क़ अब, इस्बात माँगता है,

मैं कलुषित नहीं, 

यह स्वयंभू जानता है।

तुझे पा लिया, 

लगा कि मिल गया जहां,

भला कब पथिक, 

ठग सी अय्यारी जानता है?

सवालों से हैरां, परेशां बस इसलिये,

पथिक न सब सी. . . 

आबकारी जानता है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract