इश्क़-इस्बात
इश्क़-इस्बात
इश्क़ अब, इस्बात माँगता है,
मैं कलुषित नहीं,
यह स्वयंभू जानता है।
तुझे पा लिया,
लगा कि मिल गया जहां,
भला कब पथिक,
ठग सी अय्यारी जानता है?
सवालों से हैरां, परेशां बस इसलिये,
पथिक न सब सी. . .
आबकारी जानता है।।
इश्क़ अब, इस्बात माँगता है,
मैं कलुषित नहीं,
यह स्वयंभू जानता है।
तुझे पा लिया,
लगा कि मिल गया जहां,
भला कब पथिक,
ठग सी अय्यारी जानता है?
सवालों से हैरां, परेशां बस इसलिये,
पथिक न सब सी. . .
आबकारी जानता है।।