भाव और पथिक
भाव और पथिक
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मैंने छोड़ दिया है, भावों को.....
शब्दों में पिरोनाl
क्योंकि छोड़ दिया है, लोगों ने....
भावों को महसूस करना॥
शायद आप इसे हार समझें....
या फिर यूँ कहें कि उब गया पथिक.....
हयात के झंझावातों से,
लेकिन..... यह कितना सच है?
सच! इसे बयाँ करना..... बेहद कठिन है,
बेहद कठिन!
उतना कठिन कि जितना,
तुम समझते हो काव्यरुपी भावों को॥
हाँ इसी लिये.....
मैंने छोड़ दिया है, भावों को शब्दों में पिरोना।।