भृंग उर
भृंग उर
भृंग उर की सी
टीस सुहानी,
वंसत अमौदित,
मन अनुरागी,
हिय महके,
मन चहक उठे हरि,
सुन.....राधा-कृष्ण की,
प्रेम कहानी।
भृंग उर की सी
टीस सुहानी,
वंसत अमौदित,
मन अनुरागी,
हिय महके,
मन चहक उठे हरि,
सुन.....राधा-कृष्ण की,
प्रेम कहानी।