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Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract Inspirational Others

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Haripal Singh Rawat (पथिक)

Abstract Inspirational Others

'इश़्क सौ बार होता है'

'इश़्क सौ बार होता है'

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कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?

मुझे तो दिन में सौ–सौ बार होता है।


हर सुबह जब एक हाथ में अख़बार,

दूसरे में कॉफी का मग लिए,

बैठा होता हूँ बालकनी में अपनी,

लबों को छूते उस मीठे–कड़वे,

कहवे के घूँट से, मुझे इश्क़ होता है,

कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?


दफ़्तर को जाते हुये जब,

बस के छूट जाने का अनबूझ डर,

मिट जाता है, कानों को लगती कर्कश सी धुन से,

कानों को चुभते उस बेसुर से,

सुर से मुझे इश्क़ होता है।

कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?


बस की अगली सीट पर,

माँ की गोद में बिलखता - रोता बचपन,

जब अचानक हँसने लगता है मेरे बहलाने से,

मुझे उस हँसते-रोते बचपन से. . . इश्क़ होता है।

कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?


दोपहर की भूख जब

जकड़ लेती है आग़ोश में अपने,

क़ैद से मुझे निकालते, 

माँ के डिब्बे में बंद उस प्यार से, 

मुझे इश्क़ होता है।

कौन कहता है, इश्क़ इक बार होता है?


शाम की हवा के स्पर्श से,

और माँ के हाथों की नरमी से, 

मिलते उस राहत- ए-दर्द, से मुझे इश्क होता है।

कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?



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