प्रेम में हैं
प्रेम में हैं
प्रेम में हैं क्या
प्रेम में होना हो गया
और प्रति पल एहसास है
प्रेमी के आगोश में होने का।
आज की होती हुयी ये सुबह
झुरकती हुयी हवा
परिंदों की चहचहाट
मुस्कराते हुए फूल
आकाश में घुमड़ते हुये बादल
और दुनिया भर के शोर के बीच
जीवन की अद्भुतता का
का एहसास हो रहा है
सुना था परमात्मा की कहानियां
देवत्व की कथाएँ
और देख रहे हैं
सबको बदलते हुये।
सुना था प्रेम में
मनुष्य अंधा हो जाता है
कितना बड़ा झूठ है
प्रेम में तो आंख खुल जाती है
खुल भी रही है
और तुम कुछ भी कहो
अपने आप को
मैं कुछ कहूँ न कहूँ
तुम ठीक ठीक वैसे ही लगते हो
जैसा कि हो
तमाम कथनों और अभिकथनों
शोर में।
उम्मीद तो है
तुम्हें भी खुद से प्रेम होगा
तुम्हें भी एहसास होगा
उस आगोश का
जिसमें हो
बदलेगी तुम्हारी अपनी धुन
प्रेम के आगोश की धुन में
इस होती हुयी सुबह की तरह
जिसे रात ने
बड़ी सहजता से
अपनी जगह दे दी है
और दुनिया एक नये रंग में
दिख रही है
बदलने को आतुर।

