सौन्दर्य
सौन्दर्य
इन फूलों को कहती हो तुम, मत चूमों मेरे हाथों को,
कोमल सी कलियां खिल जाएं, दीदार तुम्हारा होने दो,
तुमको क्या मालूम है कि इन्हें, क्या क्या सहना होता है,
पर खुश हैं हमेशा बस इसमें, बर्बाद हुए तो होने दो।
चंचलता देखे रूप निहारे, पायल की छम छम बजने दो,
इठलाते हुए कदमों की धमक, हर बार यहां बस होने दो,
मेघों से भी सुंदर केश तिहारे, खुशबू फैलाये सांसों में,
इन महकी महकी सांसों का आधार तुम्हारा रहने दो।
सावन, झरना, और इंद्रधनुष, सबकी सुंदरता फीकी है,
भ्रमरें भी तुमको देखें जब, फूलों का रस भी फीकी है
उपवन की सारी खुशियां भी, लुट जातीं है जब आती हो,
भोर की किरने रुक जाए, गतिहीन हो दुनियां, होने दो।
सबके दिल पर तुम राज करो, सबको अपना दास करो,
सब मिट जाएंगे खुशी-खुशी, चाहे जिसे बर्बाद करो।
मृगनयनी हो तुम मादकता है, कनक से ज़्यादा आंखों में,
बिन कनक को खाये खोये है, खाये तो जाने क्या क्या हो!