प्रेम का धागा
प्रेम का धागा
बंध गया है तुम से प्रेम का धागा पिया,
तुमने तो अभी तक स्वीकार नहीं किया।
कैंसे मैं यकीन करूँ या दिल को मनाऊँ,
तुम्हें मान अपना हक जताऊँ,न जताऊँ।
जीवन की प्रश्नडोरी में उलझना नहीं है,
अब चलते चलते मुझे गिरना भी नहीं है।
बस आ कर एक बार आँखों से कह दो,
प्रश्न नहीं करूँगी कभी,बस तुम मान लो।
एक बार ही सही बस कह दो मुझे अपना,
बस हर बार देखा है मैंने यही तेरा सपना।
जीवन भर साथ नहीं छोड़ूँगी कभी भीतेरा,
बस तुम, बस तुम, भी कहना मान लो मेरा।