नव प्रभात का आगमन!!
नव प्रभात का आगमन!!
दिवाकर के रथ की आहट
शीतल वायु का कोमल स्पर्श
आकाश में जड़े रत्न लजाने लगे
मंद सी अनहद ध्वनि
भीतर ही भीतर गुंजायमान!
ओह ! ये कोकिला की कोकिल कूक
कणॆगोचर हुई!
सम्भवतः नव प्रभात का आगमन!
परन्तु वातावरण में छायी निःस्तबधता
रात्रिचरों का एकाएक यह मौन
कहने लगा –
“एक जीवन के उदय के साथ
एक जीवन अस्त हो गया”!