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Piyush Pant

Inspirational

4  

Piyush Pant

Inspirational

क्यों चुप हो?

क्यों चुप हो?

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मानव तुम क्यों चुप हो?

इस जड़सत्ता के पीछे, क्यों लोलुप हो?

क्यों नहीं सुनते विराट की पुकार?

क्यों नहीं देखते क्रांति के आसार?

क्यों नहीं तोड़ते बंधन,

क्यों नहीं करते स्वाधीनता का आलिंगन?

क्यों तुम जगत के पीछे, हो पागल से दौड़ते?

क्यों जीवन का रुख, हो विपरीत दिशा में मोड़ते?

क्यों झूठ का शव, हो फूलों से सजाते,

क्यों नहीं सत्य का डंका, निभॆय हो बजाते!

क्यों नहीं जानते अपना वास्तविक रूप

तुम तो हो अमर, चैतन्य, आनन्द स्वरूप!

फिर क्यों यह चिंता, किसका भय?

तुम्हारा अंतस तो है पीयूषमय!

क्यों लेते हो क्रांति से अवकाश,

जबकि तुम तो स्वयं हो प्रकाश!

क्यों नहीं आगे बढ़ कर लेते,

जबकि तुम्हारी ही है स्वाधीनता,

फिर किसका तुम्हें भय,

और किस बात की हीनता!!



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