अब बताऊंगी
अब बताऊंगी
मुझे अब भी उसकी आस है पर
उसे तो हर बार किसी नए की तलाश है
उसका मन कभी भी भरता नहीं और
मेरा मन जो और कहीं ठहरता नहीं है
पर कैसे कहूं कितना तड़पाता है वो
क्या उसे एहसास होता नहीं है
मैंने कितने आंसू बहाए उसके प्यार में
क्या उसका दिल कभी रोता नहीं है?
कुछ दिन बिताया था साथ तुमने
तो फिर अब तुम्हें क्या हो गया
दिल है भी कि नहीं है जो
कभी इसका हुआ तो कभी उसका हो गया
सोचती हूं प्यार जितना था
नफरत उससे ज्यादा करूंगी
पहले तो मैं वादा निभा रही थी पर
अब तोड़ने का वादा करूंगी
पहले मैं प्यार में पिघल रही थी पर
उसे अब अपने नफरत से जलाऊंगी
प्यार ना मिले तो कैसा लगता है
अब जाकर ये मैं उसे बताऊंगी।

