STORYMIRROR

Akshat Shahi

Inspirational Others

4.1  

Akshat Shahi

Inspirational Others

मत खोलना

मत खोलना

1 min
121


वो चौखट पर हथियार लिए खड़े हैं

रूह को बचा लो दरवाज़ा मत खोलना। 


आँखों में अदायें महबूब सी लिए खड़े हैं 

नियत तो जान लो राज़ मत खोलना।


महकते फूलों से लद्दे पेड़ बाग़ में खड़े हैं 

शाम को बचा लो शराब मत खोलना। 


ताजिर (व्यापारी) मिजाज का हिसाब किये खड़े हैं 

मन ही में मुस्कुरा लो लब मत खोलना। 


तसव्वुर से भरी आँखों पर पहरे लगे हैं 

नई दुनिया बचा लो आँखें मत खोलना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational