मत खोलना
मत खोलना
वो चौखट पर हथियार लिए खड़े हैं
रूह को बचा लो दरवाज़ा मत खोलना।
आँखों में अदायें महबूब सी लिए खड़े हैं
नियत तो जान लो राज़ मत खोलना।
महकते फूलों से लद्दे पेड़ बाग़ में खड़े हैं
शाम को बचा लो शराब मत खोलना।
ताजिर (व्यापारी) मिजाज का हिसाब किये खड़े हैं
मन ही में मुस्कुरा लो लब मत खोलना।
तसव्वुर से भरी आँखों पर पहरे लगे हैं
नई दुनिया बचा लो आँखें मत खोलना।