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Altaf Hussain

Romance

4  

Altaf Hussain

Romance

तुम हो

तुम हो

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जुड़े हम सब से है पर

डूबे हैं जिसमें वो सिर्फ तुम हो,


सुख में तो सब साथ होते हैं

जो दुख में साथ होता है वो तुम हो,


सुबह उठते ही जिसकी याद आती है

वो प्यारी सी अहसास तुम हो,


मेरा दिल पुकारता है जिसे बार-बार

मेरे दिल की वो पुकार तुम हो,


लोगों के तो होते हैं ख्वाब कई 

मगर मेरी ख्वाब सिर्फ तुम हो,


यूं तो सितारों के पास भी है एक चांद

मगर मेरे नजर में चांद तुम हो,


मैं लिखता हूं जिसे हर रोज

मेरी वो ग़ज़ल की किताब तुम हो,


जिसे एक पल के लिए नहीं भूल पाता

मेरी वो हसीं ख्याल तुम हो,


ग़म में भी मुस्कुराते रहते हैं हम

मेरे मुस्कान की वजह तुम हो,


कहो तो बनवा दूं तुम्हारे लिए ताजमहल

मैं शाहजहां मेरी मुमताज तुम हो,


इतना ही कहना काफी होगा कि

अलताफ की पहली व आखरी मोहब्बत तुम हो।


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