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Vipul Borisa

Drama

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Vipul Borisa

Drama

लम्हें

लम्हें

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मुझे किताबों में सजाया हुआ, गुलाब रख।

हकीकत ना सही, इक प्यारा सा ख्वाब रख।


गैरत इतनी हो आँखें कभी झुके ना किसी से,

भले तू कहीं भी अपने चेहरे पे नक़ाब रख।


तू कितना रहेगा गुम इस दुनिया की भीड़ में,

चंद लम्हें रख, पर हो सके तो लाजवाब रख।


मन्दिरो में या मस्जिदों में तुझे खुदा मिलेगा नहीं,

खुद में खुदा को पाना हे तो थोड़ी सी शराब रख।


झुकाया था हाथ मैंने, तो थामा उसने भी था,

ऐ खुदा सजा-ए-इश्क़ में बराबर का हिसाब रख।।



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