आज़ादी
आज़ादी
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भले ही कुछ ना हो पर ईमान होना चाहिये।
देश के लिये तुजको सम्मान होना चाहिये।
तू ना हिंदू हो ना चाहिये,ना मुस्लमान,
सबसे पहले तो तू इंसान होना चाहिये।
बेटी के जन्म पर हर घर हर आशियाने मे,
बाप को फक्र और अभिमान होना चाहिये।
लाश पे हो कफ़न की जगह हो बस तिरंगा,
आखरी तेरा बस यही अरमान होना चाहिये।
ना कोई जाति-धर्म ना कोई भेद-भाव ना कुछ,
समभाव ही आज़ादी का फरमान होना चाहिये।