सलीका
सलीका
बारिश जब आई जम के,तो लगा की भीगना होता है।
दर्द जब बढ़ जाये हद से,फिर तो बस चीखना होता है।
क़ीमत चीज़ की नही, क़ीमत दरअसल उस वक़्त की है,
खुशबू बनकर जीने का सबब,भँवरे से सीखना होता है।
बारिश जब आई जम के,तो लगा की भीगना होता है।
दर्द जब बढ़ जाये हद से,फिर तो बस चीखना होता है।
क़ीमत चीज़ की नही, क़ीमत दरअसल उस वक़्त की है,
खुशबू बनकर जीने का सबब,भँवरे से सीखना होता है।