खुद्दारी
खुद्दारी


क्यूँ रखूँ मैं हिसाब,
जब मैने खुद को ख़र्चा है, बेहिसाब हरदम।
मेरे पे नहीं ओ ख़ुदा,
तेरे पर रहेगा मेरा कर्जा, बेहिसाब हरदम।
क्यूँ रखूँ मैं हिसाब,
जब मैने खुद को ख़र्चा है, बेहिसाब हरदम।
मेरे पे नहीं ओ ख़ुदा,
तेरे पर रहेगा मेरा कर्जा, बेहिसाब हरदम।