होली
होली


कैसी अजीब सी ये बात है।
दूर रहकर भी कान्हा और राधा एक साथ हैं ।
कोई करीब रहकर भी दूर हे,तो
कोई दूर रहकर भी दिल के पास है।
कोई अपना हे यहाँ तो कोई इक ख्वाब है।
कोई फकीर यहाँ तो कोई नवाब है।
हर रंग की इक अलग ही बुनियाद है।
किसीके लिये गुलाल लाल तो,किसीके लिये मलाल है।
कोई हे रंगीन यहाँ तो कोई उदास है।
ये रंग जो हे लाता मुझे हर बार उसकी याद है।
देखो तो सिर्फ इक तसवीर है,
जानो तो इक गहरा जज़्बात है ।