जब भी झड़ी लगती है सावन की ये टपकने लगती हैं। जब भी झड़ी लगती है सावन की ये टपकने लगती हैं।
हम देखते रहे वो भीगते रहे.... हम देखते रहे वो भीगते रहे....
खुशबू बनकर जीने का सबब,भँवरे से सीखना होता है। खुशबू बनकर जीने का सबब,भँवरे से सीखना होता है।
कभी यूं भी लगे कि मैं खफा हूं क्या ..एक बार अपनी ही सांसों से ये पूछो तो ज़रा ! कभी यूं भी लगे कि मैं खफा हूं क्या ..एक बार अपनी ही सांसों से ये पूछो तो ज़रा...
प्रेम बरसा चहुं ओर, बिखरि छटा घनघोर। आशा अंकुर फूटती, मन में नाचे मोर।। प्रेम बरसा चहुं ओर, बिखरि छटा घनघोर। आशा अंकुर फूटती, मन में नाचे मोर।।
एक रुपये की आती थी वो संतरों वाली 16 टॉफी, शक्तिमान के स्टीकर को बाजू पर चिपकाना याद एक रुपये की आती थी वो संतरों वाली 16 टॉफी, शक्तिमान के स्टीकर को बाजू पर चिपक...