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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance Fantasy

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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance Fantasy

कभी ढूंढना हो अगर मेरा पता..

कभी ढूंढना हो अगर मेरा पता..

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कभी ढूंढना हो अगर मेरा पता

..एक बार खुद के दिल पर, हाथ रखो तो जरा !!


कभी यूं भी लगे कि मैं खफा हूं क्या

..एक बार अपनी ही सांसों से ये पूछो तो ज़रा !!


कभी करनी हों अगर मुझसे बातें

..एक बार दूर फलक के सितारे को देखो तो ज़रा !!


कभी भीगना हो गर मन के जज्बातों में

..एक बार पहली बारिश में तर-बतर होना तो ज़रा !!


कभी देखना चाहो अगर जी भर के

..एक बार अपनी ही ग़ज़ल कोई पढ़ लेना तो ज़रा !!



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