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Amit Kumar

Inspirational

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Amit Kumar

Inspirational

नक़ाब

नक़ाब

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आपके चेहरे पर 

यह नक़ाब 

कुछ यूँ फबता है 

मानो सितारों के साथ 

वो चाँद जैसे दमकता है 

अपनी ही रोशनी में 

तुम ग़ुम हो रहे हो 

मानो अंधेरों से 

तुम्हारा दिल का रिश्ता है...... 


तुम्हारी शर्म और 

एहतराम की यह बातें 

दिलजलों की महफ़िल में 

दम तोड़ देगी 

जिधर भी देखोगे 

तुम नज़र उठाकर 

निगाहों से बोतल 

लब तोड़ देंगे 

मेरा तुम्हारा है 

किसने बांटा 

जो जिसके बनकर 

है जग में आता 

मिलता है उसको 

जग में वही है....... 


आपके चेहरे पर

यह नक़ाब

कुछ यूँ फबता है

मानो सितारों के साथ

वो चाँद जैसे दमकता है

अपनी ही रोशनी में

तुम ग़ुम हो रहे हो

मानो अंधेरों से

तुम्हारा दिल का रिश्ता है......


बारिश की बूंदों सा 

तुमसे शिक़वा 

पल में बहुत था 

पल में नहीं है 

मेरे दिल की 

तुम धड़कन बनके देखो 

न धड़क उठे दिल 

तुम्हारा तो कहना 

मेरे जो मुझमें 

तुम देखते हो 

वो मेरा मुझमें 

कुछ अब नहीं है 

सभी तुम्हारे 

हुस्न के क़ायल 

यह पर्दानशीं अंदाज़ तुम्हारे 

सुना है उसके 

तुम हो जाते हो 

जो तुमको अपना 

लहू माफ़ कर दे 

जाओ तुम भी क्या 

याद करोगे 

माफ़ है तुमको 

लहू हमारा.... 


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