कौन जाने, पर बताते हो तुम्ही अपना पता। जान कर भी हम अनजाने भटकते हैं सर्वदा। कौन जाने, पर बताते हो तुम्ही अपना पता। जान कर भी हम अनजाने भटकते हैं सर्वदा।
तब वक्त के हाथों सौंप देना ही समझदारी है तब वक्त के हाथों सौंप देना ही समझदारी है
अब सौंप दी हे मैंने तुमको उद्धार करो ये दाता गुरुदेव..... अब सौंप दी हे मैंने तुमको उद्धार करो ये दाता गुरुदेव.....
इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखते हैं नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखते हैं नाम
अब इस दिल को मजबूर करके, अपने नैनों के बाण ना फेंको तुम। अब इस दिल को मजबूर करके, अपने नैनों के बाण ना फेंको तुम।
जमीन बोली- हां, मुझे कोई ठीक से देखता तक नहीं क्या मैं इतनी कुरूप हूँ ? जमीन बोली- हां, मुझे कोई ठीक से देखता तक नहीं क्या मैं इतनी कुरूप हूँ ?