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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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तसल्ली

तसल्ली

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जिंदगी अगर मनमुटाव कर बैठी हो

 अपनों के सहलाने से भी ना संभलती हो

 तब वक्त के हाथों सौंप देना ही समझदारी है

 तसल्लियों भरी दवा भी इस वक्त

 सिर्फ नाकामयाबी है।


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