ऐसा क्या लिख दूँ ,कि तू वापस आ जाये । राहुल कुमार कविता
ऐसा क्या लिख दूँ ,कि तू वापस आ जाये । राहुल कुमार कविता
बारिश की पहली बूँद लिख दूँँ,
या सूरज की तपती धूप लिख दूँँ।
साथ बिताये पलों को लिख दूँँ।
या गुजरे हुये कुछ लम्हों को लिख दूँँ।।
तेरे झूठे कस्मे-वादों को लिख दूँँ।
या तेरे हर एक बहाने को लिख दूँँ।।
ऐसा क्या लिख दूँँ ,कि तू वापस आ जाये ।।
ऐसा क्या लिख दूँँ, कि तू वापस आ जाये।।
सागर का वो किनारा लिख दूँँ।
या आँखों से बहती जलधारा लिख दूँँ।।
सड़कों पर फैले हुए, पत्तों को लिख दूँँ।
या सीने में दफन दर्द को लिख दूँं।
रात भर तुझसे बातें करना लिख दूँं।
या मेरे खातिर घर वालों से लड़ना लिख दूँँ।।
ऐसा क्या लिख दूँ, कि तू वापस आ आये ।।
ऐसा क्या लिख दूँ, कि तू वापस आ जाये
छोटी-छोटी बातों पर लड़ जाना लिख दूँ।
फिर तेरा मुझे प्यार से मनाना लिख दूँ।।
अगर आ जाये, मेरे लफ्जों पर, किसी लड़की का नाम।
तो तेरा यूं चिढ़ जाना लिख दूँँ।।
दिन लिख, रात लिख दूँ, तेरा होना लिख, तेरा खोना लिख दूँ,
हसना लिख दूँ, रोना लिख दूँ।
अब मुझसे और लिखा नहीं जाता।
अपने दर्द को शब्दों में बयाँ नहीं किया जाता ।।
रोते-रोते मेरी आँखें सूज गई हैं।
तेरे जाने के बाद मेरी रूह भी, मुझसे रूठ गई है।।
अब तू ही बता,
ऐसा क्या लिख दूँँ कि तू वापस आ जाये ।
ऐसा क्या लिख दूँ, कि तू वापस आ जाये।।
