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अच्युतं केशवं

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अच्युतं केशवं

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हर मन सुख अभिलाषा

हर मन सुख अभिलाषा

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हर मन सुख अभिलाषा

पृथक -पृथक परिभाषा,


बसता सुख अर्जन में

अथवा परिवर्जन में

घर में जन-जीवन में

गिरि में कंदर वन में

कहाँ करे सुख वासा ,


भीड़ भरे देवालय

भीड़ भरे वैश्यालय

भीड़ भरे विद्यालय

भीड़ भरे मदिरालय

किसकी पूरित आशा,


वृद्ध प्रिया संस्मृतियाँ

स्वप्न प्रिया युव अँखियाँ

महिला मन सुत-सखियाँ

लघु-पाँखी नव-पंखियाँ

जन-जन-मन मधु आशा,


कवि मन भाये ताली

दुर्मुख शोभित गाली

हंस हृदय रवि लाली

उर-उलूक निशि काली

जग भर मन कर दासा।


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