हर मन सुख अभिलाषा
हर मन सुख अभिलाषा
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हर मन सुख अभिलाषा
पृथक -पृथक परिभाषा,
बसता सुख अर्जन में
अथवा परिवर्जन में
घर में जन-जीवन में
गिरि में कंदर वन में
कहाँ करे सुख वासा ,
भीड़ भरे देवालय
भीड़ भरे वैश्यालय
भीड़ भरे विद्यालय
भीड़ भरे मदिरालय
किसकी पूरित आशा,
वृद्ध प्रिया संस्मृतियाँ
स्वप्न प्रिया युव अँखियाँ
महिला मन सुत-सखियाँ
लघु-पाँखी नव-पंखियाँ
जन-जन-मन मधु आशा,
कवि मन भाये ताली
दुर्मुख शोभित गाली
हंस हृदय रवि लाली
उर-उलूक निशि काली
जग भर मन कर दासा।
