हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा, हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा,
व्याकुल चेहरे है व्याप्त जहां नहीं कुछ भी है पर्याप्त यहां सागर की लहरों से सब चलते है साहिल पर भ... व्याकुल चेहरे है व्याप्त जहां नहीं कुछ भी है पर्याप्त यहां सागर की लहरों से सब...