मेरी भावना
मेरी भावना
कितना पड़ता हूँ मैं, फिर भी पापा मम्मी चिल्लाते हैं,
नंबर कम आने पर पापा, देखो मुझ पर गुस्साते है ।
छुट्टी का दिन जब भी आता, मौज मस्ती से दूर कर वे,
एक जगह बिठा कर कितना, होमवर्क करवाते हैं।
छोटा हूँ नादान हूँ, अनजाने में कुछ ग़लतियाँ कर
जाता हूँ,
कोमल ह्रदय मेरा है फूलों सा, उस पर दोनों रौब
जमाते है।
मन में रहती सदा मेरे, नीलगगन में उड़ता रहूँ मैं,
नभ में उड़ने की अभिलाषा, मन को बहुत सुहाते है।
कोई तो मेरे मन को समझे, बचपन कीमत तो समझे,
व्यथित हो जाता है मन, बालमन पर जब सभी लगाम
लगाते हैं।
नटखटपन मेरा खो गया बस्ता बैग किताबों के बीच,
कम हो जाए बस्तों का बोझा, बोझिल मानस को
बहुत रुलाते है।।
