STORYMIRROR

DR. RICHA SHARMA

Others

3  

DR. RICHA SHARMA

Others

दिल ढूँढता है

दिल ढूँढता है

1 min
244

दिल हर पल ढूँढता है,

कहीं टिक नहीं पाता है

तुम्हारा मासूम-भोला चेहरा

बहुत तड़पाता है।


तुम्हारे साथ बिताए हुए दिन

करते हैं अक्सर मुझे खिन्न

आ जाओ तुम बनकर जिन्न

चुका दो प्रेम का सच्चा ऋण।


क्या बीते लम्हें कभी

लौट कर आएँगे

14 फ़रवरी को

हम भी मुस्कुराएंगे

सद्भावना की पावन

ज्योति जगाएंगे

पुनः एक साथ मिलकर

खिलखिलाएंगे।


सच्चा प्यार करने वालों का

साथ कभी न छूटे

इक दूजे से जीवन में

कोई कभी नहीं रूठे

प्यार के वचन कभी न

समझे जाएं झूठे


तुम्हारे नयनों की पढ़ने

लगी थी मैं भाषा

तुम्हें देखते ही पूर्ण

होती थी अभिलाषा

शायद इसे ही कहते हैं

प्यार की परिभाषा।


सच कहती हूँ बीता समय

आज भी सताता है

तुम्हारा स्मरण आते ही

फिर से प्यार जगाता है।



Rate this content
Log in