सवृद्ध शिशिर
सवृद्ध शिशिर
शिशिर ऋतु की बात,
मौसम खुशनुमा कर
जाता,भाता है क्यों?
इच्छा, परीक्षा, अग्नि
चाहत,उछाह बढ़ाता
शिशिर, हेमंत-वसंत के
मध्य आता।!!
अग्नि सूरज शांत-सी, मन
भावन लगती,आग उगलते
सूरज का अभिमान शांत कर
जाता!।
पौष, माघ, फागुन तीन
माह, सर्द, शीत लहर
प्रकोप सा आता!!
सूरज शक्ति कम, होती
कोहरे, धुंध, बादल में
अदृश्य अक्सर हो जाता!!
गांव में सुबह-शाम
जलते आलाव से,बच्चे,
बूढ़े, नौजवान, सबका
रिश्ता नाता!!
प्रीत मीत राजनीति का
नोक-झोक, संवाद का
स्थान,बन जाता!!
शिशिर ऋतु मे माह,
एक खरवाँस,खुशियों का
गीत गुनगुनाए जीवन के
राग सुनाता!!
यीशु जन्म उत्सव,
यश-कीर्ति हर्ष नववर्ष,
वैश्विक उत्सव, उत्साह
विश्व बन जाता!!
शिशिर में सूरज का
उत्तरायण, मोक्ष पथ,
हो जाता!!
फसलों की हरियाली,
सरसों पिले फूल,
गुड़-गन्ने की मिठास
धन धान्य का नाता!!
शिशिर शाश्वत सत्य,
पर्वों का है आगमन:
उत्तर में मकर संक्रांति,
तमिल में पोंगलभाता
आता!!
प्रखर,पूर्वोत्तर माघ बिहु,
पंजाब में लोहड़ी का सुंदर
किसान देख खेत मुस्काता,!!
शिशिर ऋतु में हर्ष भर
आपदा प्रकृति नहीं लाता,
हाँ, ठंडी, ओला, पाला,
तापमान कम,कर जाता!!
पवन शुष्क,काया निर्जल,
वात विकार बढ़ जाता!!
पत्ते पीले, पतझड़ की
बान सुनाता मौसम,
स्वास्थ्य सधना शिशिर
ऋतु, तिल, गुड़,
आंवला जीवन दाता!!
शिशिर महिमा, महत्व
ध्याता गात जीवन मौसम
खुशनुमा कर जाता है
शिशिर ऋतु ही भाता!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पिताम्बर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
