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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Action Crime Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Action Crime Inspirational

क्रूर कपट काल

क्रूर कपट काल

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क्रूर कपट का काल, 

समय सीमित द्वेष, दम्भ,

घृणा, प्रतिशोध की अवनी

कपट, क्रूर की जननी, 

द्वापर का महाभारत!!

युग संदेश, परिवर्तन, 

दुष्ट दुर्योधन कपटी शकुनी, 

मित्र आस्था का महारथी 

कर्ण दृष्टिहीन अन्तर्मन, 

विचार, विवेक विहीन 

धृतराष्ट्र शासन!!

पुत्र मोह, सत्ता संमोहन, 

 वशीभूत राजा न्याय-

अन्याय मे कर सके न 

अन्तर, राज्य सत्ता का 

निकट अन्त!!

धीर, वीर, गम्भीर, ज्ञान, 

कर्म, धर्म, शास्त्र, विज्ञान

परिपूर्ण शस्त्र, ज्ञान, विज्ञान,

युग सृष्टादेवव्रत भीष्म, 

द्रोण, कृपाचार्य, न्याय 

नीति निपुण विदुर!!

विवश, लाचार, असहाय, 

कपट काल का नंगा नाच

धर्म, न्याय, नीति, महारथी 

शीश झुकाये, लज्जित

क्रूर कपट करता अट्टहास,!!

भीम, विष से शुरू

कपटी कपट का द्वन्द्व 

युद्ध, लाक्षागृह की 

अंगार प्रबल राज्य बटवारा,

 वन, जंगल, खाण्डव प्रस्थ 

नगर निर्माण,!! 

पुरुषार्थ, पराक्रम का 

उजियार जब प्रेम 

प्रदूषित हो जाता, है 

सम्बन्धों का संबंध 

शत्रु बना जाता है!!

संबंध, प्रेम, परिवार, 

परम्परा, कुल, पीढ़ी 

एक-दूजे का रक्त 

पिपासु बन जाता है!!

क्रूर कपट के संग काल, 

समय भी क्रूर बन जाता

जैसी करनी, वैसी भरनी, 

मानव युग का वर्तमान

इतिहास नया रच जाता, है!!

द्यूत क्रीड़ा का 

आमन्त्रण भरत भारत 

की सत्ता, शासन, 

राजनीति का कठिन 

काल क्रूरतम नहीं 

आवश्यक, है!!

स्वीकार करे धर्मराज 

छल, कपटी का  द्यूत 

क्रीड़ा निमन्त्रण जब 

विनाश आता है, 

विवेक मर जाता है!!

विकृत आचरण, 

व्यवहार को तब नीति, 

नियत बतलाता है!!

स्वयं धर्मराज,

अवतार धर्म, स्वयं 

युग युधिष्ठिर तब द्यूत 

क्रीड़ा को क्षत्रिय मर्यादा 

कहता द्यूत क्रीड़ा में 

हार सर्वस्व, पत्नी दाँव 

लगता है!!

सत्य सनातन में 

नारी सर्वोपरि, नारी 

जत्र पूज्यते रमन्ते देवता 

सत्यार्थ धर्म स्वयं युग 

धर्म, युधिष्ठिर विस्मृत 

कर जाता है!!


कुल वधू द्रौपदी का 

अपमान,क्रूर कपट का 

नंगा नाच क्षत्रिय कुल 

मर्यादा लज्जित,भरे राज 

दरबार युग श्रेष्ठ धनुर्धर, 

गदाधारी, शास्त्र समर्थ, 

सर्वज्ञ पत्नी अपमानित 

देखते, जैसे कायर काल 

प्रपंच है!!


दृष्टिहीन, दिशा हीन, 

दृष्टिकोण हीन,अन्तर्मन 

दृष्टि विहीन शासक पिता, 

श्वसुर, सिंहासन की आसक्ति

का नव इतिहास रच जाता है!!

पुत्र मोह, मनस्वी 

रोक न सका स्वयं 

कुल वधू द्रौपदी 

अपमान देवव्रत भीष्म, 

कुल गुरु कृपाचार्य, 

द्रोणाचार्य, नीति शास्त्र 

भिज्ञ विदुरशीश झुकाये, 

कपटी शकुनी के 

प्रतिशोध, पराजय के 

लज्जित मात्र!!

समय, काल सब 

पर भारी, दुर्योधन का 

एक अपमान युग 

धर्मराज युधिष्ठिर के 

राजसूय यज्ञ में 

दुर्योधन को समतल 

दिखता जलमय 

माया महल कपटी माया, 

क्रूर काल को भाया है!!

द्रौपदी अभिमान में 

दुर्योधन को ही अन्धे का 

पुत्र अन्धा बताया घायल

अन्तर्मन से, प्रतिशोध 

अग्नि में जलता है!!

अवसर का 

आमन्त्रण करता,

 निर्माण दुर्योधन का 

राजसूय यज्ञ में 

द्रौपदी का अपमान,!!

आहत पराक्रम, 

पुरुषार्थ की जलती 

ज्वाला का प्रतिशोध 

प्रमाण, बज गई 

रणभेरी, तभी मात्र 

समय परिस्थिति, 

परिवेश का होना था 

निर्माण!!

महाभारत के 

महायुद्ध की भूमि, 

कुरुक्षेत्र का निर्धारण

रणभेरी का शंख नाद!!


- नंदलाल मणि त्रिपाठी, पीतांबर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश!!


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