स्वाभिमान
स्वाभिमान
अपने स्वाभिमान को
हमेशा ज़िंदा रखना...
कभी भूलवश भी
खुद को
झुकने न देना,
क्योंकि ये दुनिया
अक्सर रईसों की
दहलीज़ पे आकर
दम तोड़ देती है...!
मगर मेरी मजबूरियों के बहाने
वक्त की हेराफेरी और
इन बदलते चेहरों की
अनजानी शख्सियतों ने
मेरे भोलेपन का
भरपुर फायदा उठाया,
मगर
रंग बदलती दुनिया में
पत्थरों में मैं
इंसानियत ढूंढने की
कई मरतबा
बहुत बड़ी
गलतियाँ कर बैठा,
जिनका भुगतान
मैं मुश्किल क़िश्तों में
आज भी
गिरते-संभलते
कर रहा हूँ...!!!
मगर मैं ज़िंदा हूँ,
क्योंकि मैंने आज भी
अपने स्वाभिमान को
ज़िंदा दफन
होने नहीं दिया...
और मैं
मरते दम तक
अपना सर
उठाकर ही जीऊँगा...!!!
