निर्णय
निर्णय
कभी भूलवश भी भावावेश में
कोई निर्णय न लें,
वरना आप निस्संदेह एक
बहुत बड़ी गलती कर बैठेंगे।
ये माना कि वर्तमान स्थिति में
आपकी निर्णायक भूमिका
बहुत हद तक विफल होती
नज़र आ रही है, मगर
हक़ीक़त में यहीं से आपकी
असली अग्निपरीक्षा शुरू
हो चुकी है...!
यूँ तो अक्सर हम इंसानों की
यही व्यथा-कथा है
कि हम सबकी दर्द भरी ज़िन्दगी में
खुशियों का आना
एक तूफानी हवाओं का
तेज होना प्रतीत होता है...
और हम सब बेबस परिंदे है,
जिनके परों में वक्त की ठोकरों ने
एक भावात्मक 'नासूर'-सा बना डाला है,
जिस पे असल ज़िन्दगी कभी
सही मरहम लगा नहीं सकती...!!!