आओ प्रीतम नई शुरुआत करते हैं
आओ प्रीतम नई शुरुआत करते हैं
आओ प्रिय, एक नई शुरुआत कर जाते हैं, जीवन संध्या में हाथ थाम, संग-संग चल जाते हैं।
अब तक जिम्मेदारियों में जीवन बिता दिया, सबका साथ निभाया, हर फर्ज अदा किया।
माँ-बाप के संतान बने, बच्चों के अभिभावक, रिश्तों की परछाईं में खुद को रखा ओझल।
पर अब, चलो खुद को भी जीकर देख आते हैं, अपनी पसंद, अपनी राहें, अपने सपने सजाते हैं।
कुछ ऐसे काम करें, जो दिल को भा जाएँ, जो अब तक न किए, वे सब आजमाएँ।
तेरा साथ पाकर, खुद को भाग्यशाली मानते हैं, साथ-साथ चलें, और नई राहें बनाते हैं।
अपने स्वाभिमान को सदा संजोए रखेंगे, किसी की दया के पात्र कभी ना बनेंगे।
चलो, फिर से एक नई दुनिया बसाते हैं, पुरानी यादों को जीकर मुस्कुराते हैं।
संध्या के इस मधुर पल में, हमसफ़र से सच्चे दोस्त बन जाते हैं।
शिकवे-शिकायतों को अब पीछे छोड़ आते हैं, प्यार और दोस्ती से नया संसार बसाते हैं।
हर लम्हा जिएँगे, अपनी शर्तों पर, चलो, प्रिय, एक नई शुरुआत कर जाते हैं।

