मुमकिन
मुमकिन
मुमकिन नहीं की लौट के, मैं अब चला जाऊँ
इस दर्जे गलत राह पर, आगे मैं बढ़ गया
कोई राह न बची कहीं, के अब मैं क्या करूँ
जो वक़्त सम्हलने का था, वो भी बिछड़ गया
कोई आस अब बची नहीं, निराश हुआ दिल
उम्मीदों का जो दौर था, वो भी गुजर गया
हर जतन जो हो सका, सब मैंने कर लिया
लौटने की कोशिशों से, कदम भी मुकर गया
आँखों को बंद करके, मैंने बात दिल से की
दिल मान ये गया मेरा, उमंगों से भर गया
उड़ान ऊंची भरने को, फिर राजी हुआ ये दिल
कुछ देर लगी बेशक पर, सब कुछ सुधर गया
कहते है इसलिये, के कभी हार तू न मानना
ये सच है प्यारे याद रख, जो डरा वो मर गया
