इश्क की आग
इश्क की आग
प्यार मैंने अकेले थोड़ी किया है
आग तो दोनों दिलों में लगने वाला है
यह एक तरफा इश्क नहीं है जनाब
ये तो दोनों दिलों में जलने वाला है
लड़ लेंगे जमाने से मिलकर
अब इश्क का मजा कुछ और होगा
लोग हमें अलग करने में लगे हैं पर
अब जमाने को दिखाने का दौर होगा
जिन्हें हालात अलग ना कर सके
उनको दुनिया क्या जुदा कर सकेगी
इन बंदों से हम अब डरते नहीं
हमारी हिम्मत खुदा के आगे झुकेगी
अरे पगली तुझे डर किस बात का है
अब प्यार किया हैं तो डरना कैसा
साथ जीने मरने की कसमें खायीं हैं
बिछड़ कर रहना पड़े तो रहना कैसा
मिलाने वाले ने मिलाया है हमको
कोई तो साजिश खुदा ने की होगी
तुझे दिया वादा भी ना निभा सके
तो ये जिंदगी कहीं की ना होंगी

