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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

सिर्फ़ तुम

सिर्फ़ तुम

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तुमनें गुफ़्तगू क्या कर ली हैं हमसे,

हमारी तो जैसे दुनिया बदल चुकी।


कुछ भी समझ में नहीं हमें आ रहा, 

कैसे रब्ब जी का शुक्रिया अदा करें।


सिर्फ़ तुम मानो चाहे या चाहे न मानो,

तुमसे बेतहाशा बेपनाह प्यार करते हैं। 


पतझड़ मौसम जैसे वीरान जीवन में, 

बंसत बहार बन कर तुमनें ही छाना हैं। 


तुम्हारी जुल्फ़ों की छाया तले सोना हैं, 

सुन चौदहवीं के चाँद तेरा हमें होना हैं।


हँसते-हँसते जब तुम अँगड़ाई लेते हो,

सुंदर से भी सुंदर सिर्फ़ तुम लगते हो।


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