STORYMIRROR

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Action

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Action

प्रेम भारहीन होता हैं

प्रेम भारहीन होता हैं

1 min
426

प्रेम

भारहीन

होता है

यह

आश्रय

ढूंढ कर

खुद को

उसमें

आत्मसात

कर लेता है


कभी

आत्मा में

कभी

दिल में

कभी

दिमाग में

तो कभी

रोमरोम में

इस प्रेम के

अनेकों रूप है


वात्सल्य प्रेम

दांपत्यय प्रेम

मातृत्व प्रेम

स्नेहील प्रेम

यह नजरों से

होतेे हुए

दिल मेंं

घर

कर जाता है


प्रेम जो

हमेशा

हरा रहता है

ना हीं कभी

सूखता है 

ना हीं 

नष्ट

होता है

यह

अमर

अनश्वर

और

अविनाशी

हैं


इसे

पाने के लिए

सब

लालायित

रहते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action