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Harsh Singla

Abstract Action

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Harsh Singla

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अर्जुन - विराट युद्ध

अर्जुन - विराट युद्ध

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जब पांडव थे अज्ञात वास में, रहते छुपाते अपना रूप,

हुआ तब युद्ध एक दिन अर्जुन का समस्त कौरवों संयुक्त।


गंधार नरेश ने तब पहचाना अर्जुन का भृंनला स्वरूप,

विराट भूमि पर विराट युद्ध में अर्जुन का था विराट रूप,

चकित रह गए सभी योद्धा देख पार्थ का साहस अनूप ।


एक तरफ समस्त कौरव सेना और एक तरफ गांडीवधारी अर्जुन खड़े,

सभी महा योद्धाओं पर अकेले कुंतीपुत्र तब भारी पड़े।


गांडीव की टंकार मात्र से कौरव सेना भयभीत हुई,

दुर्योधन की भी तो उस समय हालत बड़ी अधमुही हुई,


दुर्योधन फिर रण छोड़े, अपनी सेना को वापिस मोड़े,

अर्जुन तब उसके पीछे दौड़े, अपने बाण उसके सम्मुख छोड़े।

दुर्योधन फिर मित्र कर्ण पुकारे, द्रोण भीष्म भी रक्षा हेतु पधारे।


अधिराज पुत्र राधेयी कर्ण भी भाग खड़ा हुआ रणभूमि से,

अर्जुन ने जब तीर चलाए उठा हाथ में गांडीव से।


गुरु श्रेष्ठ गुरुद्रोण का उस दिन पराजय में भी जय हुआ था,

विद्या का मान उनको उनके शिष्य ने बख़ूबी जो प्रदान किया था।


गंगापुत्र भीष्म को भी अचेत किया अर्जुन के तीरों ने,

अद्भुत सामर्थ्य देखा अर्जुन का, सारथी बने राजकुमार उत्तर ने।


अर्जुन के सामर्थ्य की आधार हुई, युद्ध की प्रतिकार हुई,

कौरवों की थी हार हुई, अर्जुन की जय जयकार हुई।


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