धैर्य
धैर्य
धीर कब तक रखूं, संसार में, मैं मौन का।
ठोकरों में सिसक रहा, न्याय मेरे विश्वास का।।
सोचता हूं छोड़ दूं, सब न्याय- नीति की बातें।
खुद ही न्यायकारी बनूं, कानून के अविराम का।।
धीर कब तक रखूं..........
धैर्य रखता हूं अटल, उत्थान के आगाज़ का।
नारी धरे कुदृष्टि, वो शत्रु मेरे संस्कार का।।
बीच चौराहे आग लगा दूं, चाहे अंश हो निशुंभ का।
मोड़ दूं मैं रास्ता, राग-द्वेष-संताप का।।
धैर्य रखता हूं अटल..........
झेल रहा है देश मेरा, दंश पाकिस्तान का।
कायर ड्रैगन बना हुआ, चीन रूप मक्कार का।।
भींच दूं जबड़ों में इनको, अब शौक है रक्तपान का।
हौसला है सर चढ़ा, आतंक के श्मशान का।।
झेल रहा है देश मेरा............
सुन रहा हूं, हर घड़ी, संदेश व्यभिचार का।
मानव मन घर कर चुका, चरित्र रावण-कंस का।।
सत्यधृत अब हो चुका, अवतरण राम-कृष्ण का।
है दिलासा वध करूं, नृशंस, कुचाली सार का।।
सुन रहा हूं हर................
क्रोध अग्नि नेत्र फूटे, मन मेरा है वज्र का।
सब्र मेरा है हिमालय, रक्षक माँ के आंचल का।।
पल मिटा दूं खाक में, कुकर्मी तेरे वजूद का।
हूं धीर-वीर-गंभीर मैं, भारत-भू की शान का।।
हूं धीर-वीर-गंभीर..............
हूं धीर-वीर-गंभीर..............