*यात्रा*
*यात्रा*
केवट बोला प्रभु से,तुम्हें गंगा पार करा देंगे।
विनती केवट इतनी सी,जल चरण पखार पिला देंगे।।
नाव है मेरी काठ बनी, अनहोनी होने न देंगे।
प्रस्तर नार बनाते हो,जीविका अपनी नहीं देंगे।।
नाव है मेरी--------
देख अनूठा स्नेह भगत का,प्रभु विह्वल होते हैं।
भवसागर पार कराने वाले,उतराई मुद्रिका देते हैं।।
आंखों में अश्रु भर केवट, यही प्रण कराते हैं।
माता का वाहन बनने की,अंतिम इच्छा जताते हैं।।
आखों में अश्रु-----
हम भोईवंश के मल्लाह हैं,सब खबर आपकी रखते हैं।
चरण छूने के चक्कर में,कछुआ से मल्लाह बनते हैं।।
मात जानकी,शेष,प्रभु, मोक्ष प्रशस्त कराते हैं।
रख वरदहस्त केवट ख्याति को,रामकिंकर कहते हैं।।
मात जानकी शेष----
रख वरदहस्त--------