पवित्र बंधन
पवित्र बंधन
ये पर्व भाई बहिन प्रीत का,हरदम साथ निभाता है।
मोल नहीं है इस रिश्ते का,अंतर्मन की आभा है।।
यम यमुना की प्रित बसा, पावन रिश्तों की माला है।
भैया दूज जिसे कहते है, हम सब,ईश रूप की छाया है।।
भैया दूज जिसे कहते........
इस रिश्ते का मान अटल ,जाति बंधन का जोर नहीं।
राजा हो या रंक जगत में,पुनीत पर्व का तोड़ नहीं।।
आन पे जान हथेली है,अश्रु बहना का मोल नहीं।
बहना का उपकार सृष्टि में,राम जन्म अवतार नहीं।।
बहना का उपकार..........
देव,दनुज,मानव नें अपनी,बहना का सम्मान किया।
दशाशीश, प्रभु ने अपनी,गरिमा तक को खाक किया।।
बहिन द्रौपदी, इंद्राणी,लक्ष्मी नें आत्मसात किया।
भैया दूज की गरिमा को,जनमानस हित संचार किया।।
भाई दूज की...........
यम-यमी का बंधन ये,बड़ा ही सम्बल पाता है।
विपद,आपद गर बहना हो, पल संदेश पहुंचाता है।।
प्रीत की रीत बसे मानस, अपना धर्म निभाता है।
अपनी बहना की आन की खातिर,पल में शीश गंवाता है।।
प्रीत की रीत...........
भैया दूज की...........