संताप
संताप
कृष्ण कन्हैया, रास रचैया,मुरली मधुर सुनाओ।
मन संताप मिटाओ,मुरली मधुर बजाओ।।
मन संताप मिटाओ...........
कृष्ण कन्हैया, रास...........
आस लगी है,दरस की तोरी।
मैं बालक,नादान प्रभु जी।।
घनघोर घटा,जीवन में मोरे।
अब तो,राह दिखाओ।।
मन संताप मिटाओ............
कृष्ण कन्हैया, रास............
राह निहारूं,इस सावन में।
हो हरियाली, मोरे आंगन में।।
काली घटाएं,विपद-आपद की।
किरपा नीर,बरसाओ।।
मन संताप मिटाओ............
कृष्ण कन्हैया,रास............
उमड़-घुमड़ कर,बदरा कड़के।
मन मोरे चपला,सी दमके।।
मन विह्वल,हृदय सकुचाये।
सम्बल हाथ, बढ़ाओ।।
मन संताप मिटाओ............
कृष्ण कन्हैया, रास............
परमोद बना दो,मेरा जीवन।
मरुभूमि बन,जाये उपवन।।
अपरिमित हों,पादप,मंजरी।
जीवन संगीत,बनाओ।।
मन संताप मिटाओ............
कृष्ण कन्हैया, रास............