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PARMOD KUMAR

Romance

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PARMOD KUMAR

Romance

हुस्ने राह

हुस्ने राह

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खूबसूरती वक़्त की गुलाम है, ढलती फिरती इक छांव है।

आइने चिलमन झरोखे की, बनीं शह और मात है।।

ताउम्र न बन सका,इसका कोई मांझी।

हुस्ने दरिया ज़वानी की, डगमगाती इक नाव है।।

हुस्ने दरिया ज़वानी की.........


ज़माने में ज़वानी की,कद्र है मुल्क से उल्फत।

कतरा ऐ खूं सरज़मी बहे,चाहे लाख हों ज़हमत।।

रंगीनियों में अपनी, वफ़ा दाव न खेलो।

हो जोश सीने में, सरफरोशी की हो कुवत।।

हो जोश सीने में..............


हुस्नेहयात कातिल निगाहों से,दामन पाक तुम रखना।

गर्दिशे दौर में नियत,संभाले आफ़ताब बनना।।

फांसले दूर ना हों कभी, नेक राहों के।

हिना महबूब हाथों की, हमेशा राज तुम करना।।

हिना महबूब हाथों कि..........


हुस्ने वतन रोशन हो, मेरा किरदार ज़माने में।

खाक मादरेवतन होऊं, फ़सानें गायें तराने में।।

मेरी सूरत बसे शीरत, बस यही आरजू रब से।

तमाम जलवे पनाहों हों, शहादत की राहों में।।

मेरी सूरत बसे शीरत...........

तमाम जलवे पनाहों...........


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