बाल बलिदान दिवस
बाल बलिदान दिवस
छब्बीस दिसंबर आया है।
बाल शहीद दिवस की याद दिलाया है।
देश व धर्म के लिए न्यौछावर होने वाले
अमर शहीदो को दुनिया आज कैसे नजर अंदाज कर पाया है।
गुरु गोविंद सिंह जी के सत्कर्मों से दुनिया उनको पूज्यनीय मानती है।
गुरु गोविंद सिंह के पथ और विचारों से दुनिया
उनको ईश्वर मानती है।
फिर जोरावर सिंह, अजय सिंह, धर्मवीर हकीकत राय के शहीद होने पर दुनिया क्यूं उनके
यश गुणगान कीर्ति को नहीं पहचानती है।
बाल होकर ये हमें अपने धर्म और देश पर मर मिटना हमें सिखाते है।
सर्वप्रथम देश के नागरिक होने का हमें सच्चा पाठ पढ़ाते है।
फूलो में भी शक्ति होती है यह अविस्मरणीय तथ्य का बोध हमें इन शहीद बच्चियों ने कराया था।
12 वर्ष की कुमारी मैना व कनकलता, कुमारी कालीबाई, ने राष्ट्र की रक्षा हेतु अपना प्राण गवाया था
खुदीराम बोस, फतेह सिंह के योगदान को कैसे भुला जा सकता है।
उनकी योगदान और बलिदान को वर्षों तक याद किया जा सकता है।
देश के धर्म और रक्षा हेतु इन बच्चों ने अपना सब कुछ दांव पे लगाया था
देश और हम सभी महफूज रहे इसलिए अपना तन मन धन सब कुछ अर्पण कर आया था
एक दिन बच्चों के बलिदान के स्मृति में बाल बलिदान दिवस होना चाहिए
स्कूल विद्यालय व विश्वविद्यालय में बच्चों के पाठ्यक्रम में इन वीरों की कीर्ति पढ़ाना चाहिए
आज मैं आप सभी से और सरकार से निवेदन करता हूँ
आज मैं उन वीर बाल बच्चों के चरणों में पुष्प अर्पण भी करता हूँ
भारत सरकार को बच्चों के शहादत पर एक दिन सुनिश्चित अवकाश रखना चाहिए
उनके स्मृति में हमें उनकी कीर्ति और बलिदान को याद करना चाहिए
आइए छब्बीस दिसंबर को बाल शहीद दिवस मनाए।
भारत के नागरिक होने का अपना सर्वप्रथम फर्ज निभाए
