युद्ध उदासी है
युद्ध उदासी है
युद्ध में हमेशा मानवता हारती है...
कौन कहता है कि जंग जीवन सँवारती है !
युद्ध उदासी है, ख़ौफ़ है ,अंधेरा है ,चीत्कार है !
सियासत के रहनुमाओं की झूठी शान और अहंकार है
हथियारों के जखीरे पे खुश होती ताकत का पलटवार है !
प्रकृति के नियमों को अंगूठा दिखाने की हुंकार है !!
युद्ध कभी भी कहीं भी ....धरती के किसी कोने में
नहीं स्वीकार है !!
युद्ध सियासत के गलियारे से शुरू होते हैं
और मासूम लोगों से छीन लेते हैं खुशियां
हिरोशिमा की मिट्टी में आज भी ज़हर है
वह ईश्वर का नहीं इंसान की पाशविक प्रवृत्ति
का कहर है !
महत्वाकांक्षाओं से अंधा प्रकृति को भी सताता है
अफ़सोस फिर भी वह नहीं समझ पाता है कि
युद्ध समाधान नहीं है .....
जलते हुए गोले बारूद की होली से ..
ए के फोर्टी सेवन की गोली से ...
टैंक की मारक शक्ति से ...
रॉकेट मिसाईल की गति से ..
जीते जागते खुशहाल लोगों की जिंदगी नहीं होती आबाद !
हथियारों के ज़खीरे ...बस करते हैं बर्बाद ..
युद्ध छोड़ जाते हैं... निशान
रोते बिलखते बच्चे ..
अपाहिज लोग ..
बेसहारा परिवार ..
कई शरणार्थी ..
उदास चेहरे ...
उर्वर धरा को कर देते है बंजर समान
चहकते नगर हो जाते हैं वीरान ..
बस प्रश्नों के रह जाते हैं अम्बार कि
युद्ध लड़ने के लिए जो रणनीति बनाते हैं
वह युद्धभूमि में जाते नहीं हैं
और जो युद्ध चाहते नहीं हैं
वह युद्धभूमि की अग्रिम पंक्ति में स्वयं को पाते हैं।
इसलिए मानवता शर्मसार होती है ..वह बार बार कहती है
युद्ध एक त्रासदी है उच्च महत्वाकांक्षाओं का पलटवार है।
युद्ध की जगह शांति वार्ता ही हल है ..
शान्ति वार्ता ही आज के भूमंडलीकरण के
दौर में होती सफल हैं ..
