बहुरूपिये तिरछी टोपी धारी इन नक्कालों ने बैठ शान से शहंशाह बनकर कितने ही कंकालों पे मिलकर इसने... बहुरूपिये तिरछी टोपी धारी इन नक्कालों ने बैठ शान से शहंशाह बनकर कितने ही कंका...
सर-फिरे लोग ही यहाँ करते है यों खून ख़राबा सब मुस्लिम ही हो गुनहगार जरूरी तो नहीं। सर-फिरे लोग ही यहाँ करते है यों खून ख़राबा सब मुस्लिम ही हो गुनहगार जरूरी तो नही...
और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में। और कर रहे हैं शर्मिंदा सच को, झूठ के झुंड में।
विद्वानों को आजकल, लोग रहे हैं भूल, देते उनको मान जो हैं अनपढ़ मक्कार। विद्वानों को आजकल, लोग रहे हैं भूल, देते उनको मान जो हैं अनपढ़ मक्कार।
जाग सके तो जाग, राग इनका पहचानो। जाग सके तो जाग, राग इनका पहचानो।
समय निकाले थे जिस इज्जत के खातिर, इज्जत भी ना मिली और बेकरार बन गए। समय निकाले थे जिस इज्जत के खातिर, इज्जत भी ना मिली और बेकरार बन गए।