फ़िर से जाग उठी तलवार है असत्य पर कर रही ये प्रहार है। फ़िर से जाग उठी तलवार है असत्य पर कर रही ये प्रहार है।
सुना है रातें, सोने के लिए होती हैं, फिर मैं क्यों जाग रहा हूँ ? सुना है रातें, सोने के लिए होती हैं, फिर मैं क्यों जाग रहा हूँ ?
जाग सके तो जाग, राग इनका पहचानो। जाग सके तो जाग, राग इनका पहचानो।
कलम हाथ थमाया, हाय वह हमें न भाया। कलम हाथ थमाया, हाय वह हमें न भाया।
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ पर जिन्दा क्यूं नहीं होता, मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ पर जिन्दा क्यूं नहीं होता,
विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना? जाग तुझको... विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर म...