जाग उठी तलवार
जाग उठी तलवार
फ़िर से जाग उठी तलवार है
असत्य पर कर रही ये प्रहार है।
दुष्टों ने बहुत खून पी लिया है
अब करेगी दुष्टों का संहार ये।
यह कोई नई तलवार नहीं है
सन सत्तावन की ललकार है।
फिर से जाग उठी तलवार है
फ़िर से अब एक ग़दर होगा।
गद्दारों पर करेगी ये तगड़ा वार ये
पाक जिंदाबाद बोलने वालों की।
जिह्वा का काटेगी ये तार ये
फ़िर से जाग उठी तलवार है।
महाराणा प्रताप ने उठाई थी
ये हमारे देश के लिए ।
हम भी उठाएंगे इसे देश के लिये
शत्रुओं को बतायेगी ये चमत्कार ये।
ये हमारे खून में पानी सी बहती है
शिवाजी का ये स्वदेश से प्यार है।
फ़िर से जाग उठी तलवार है
रूप बदला है लेकिन इसने धार नहीं ।
आज ये बंदूक,तोप,मिसाइल आदि बन,
फ़िर से करेगी दानवों का संहार ये ।
