क्यों नहीं होता
क्यों नहीं होता
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किसी दिन जिन्दगानी में
करिश्मा क्यूं नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ
पर जिन्दा क्यूं नहीं होता,
मेरी इक जिन्दगी के कितने
हिस्सेदार है लेकिन
किसी की जिन्दगी में भी
मेरा हिस्सा क्यूं नहीं होता
जहां में यूं तो होने को बहुत
कुछ होता रहता है
मैं जैसा सोचता हूँ कुछ भी
वैसा क्यूं नहीं होता।
